अक्ल कभी अपने आप नहीं आती यारों न अक्ल बादाम खाने से आती है न ही कोई दवाई खाने से , अक्ल हमेशा धोखा खाने से आती है और कभी बुढ़ों के पास बैठ कर चार बाते करके देखो खुदबखुद समझ जाओगे , इंसान गलतियां करता है पर उन्हे सुधारता नही पर जब उन्हे सुधारने की सोचता है तब तक समय हाथ से निकल चुका होता है , अगर बुढ़ों की बातो पर गौर करोगे तो कभी भी न धोखा मिलेगा न कभी हारोगे , न ही कभी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा , बुढो़ की जिंदगी बीत गयी है समय से सीखते सीखते , अगर आप बुढ़ों से सीख लोगे तो उनकी तरह कभी धोखा नहीं खाओगे , " मैने वडेया शिकारिया तो सिखेया ते सुनेया के पैसे दी अमीरी नाल दिल नु हराम , दुनिया च सब तो आसान चिज़ ने प्यार , प्यार दे ने रुप हज़ार "
हमें पैसे पर ध्यान नहीं देना चाहिये पैसे की अमीरी दिल को हराम लगती हैं और दिल प्यार मांगता है पैसा नहीं इस दुनिया में सच्चा प्यार करना तो आसान है पर उसे पाना मुश्किल है और उसका दर्द कोई कोई ही सहन कर पाता हैं ,
हिमाचल के बुढ़े कुछ इस तरह कहते है कि : यहां कलबोग (Near Gumma ,Upper Shimla )
में एक राक्षस रहता था जो हर रोज़ एक आदमी को खाता था और बड़ी मुश्किल से हिम्मत वाले लोगों ने उसे मारा था और वो 80-90 Foot का था , जब मैने ये बात अपने गांव बिलासपुर में एक बुढ़े से पुछी तो उसने डरकर गर्दन निचे कर ली और कुछ बड़बडाने लगा , और अचानक उसने कोई दुसरी बात शुरु कर दी , मैं तो समझ गया था कि ये बिल्कुल सच है और मैने उससे दोबारा नही पुछा ,
पर जब मैं कलबोग में था तो मैने वो जगह भी देखी थी अब वहां पर एक छोटा सा मंदिर है ,
अब सयानों की बातें है सच यही जानें , तो जो मेरा गांव है " मांगल" Near Bilaspur ) वहां एक राजा था " राणा सतबीर सिंह बहादुर " वह यहां का अंतिम राजा था उसके बाद कोई राजा नहीं हुआ , उनका बेटा जिसे सब मन्नु के नाम से जानते थे और सब उसे राणा ही कहते थे , उनकी म्रत्यु शायद 2016 March में हुई थी मुझे अछी तरह याद नहीं कि 2016 में या 2015 में , और उनकी म्रत्यु Heat Attack की वजह से हुई थी , और उनका परिवार आज भी यहीं है ,
Poverty :
कुछ बुढ़ों का कहना हैं कि हम पेड़ों की छाल निकालकर उसे कुट कर उसकी रोटीयां बनाकर खाते थे , मुझे तो विश्वास ही नहीं होता इनकी अजीब बातों पर , कोइ भला कैसे खा सकता होगा पेड़ो की सख्त छाल को ,
खैर अब वह समय चला गया , उस समय पैसा नहीं था लोगों के पास और 20-25 KG घी देकर 14 Ruppees मिलते थे और फिर उसी पैसे से महीनो तक गुज़ारा करते थे और आज लोगो के पास 14 करोड़ भी हो तो कहते है कि यार पैसे कम है हमारी तो किस्मत ही फुटी हैं , उस समय में जब खेत में एक किलो गेंहुँ भी उगती थी तो सब परिवार वाले मिलकर कहते थे कि " भगवान आपकी मेहरबानी से आज बहुत सारी फसल हुई एैसे ही हम पर कृपा रखना " अगर आज किसी के घर 1500 किलो गेहुं भी होती है तो लोगो से कहते फिरते है कि अब की बार बहुत कम फसल हुई हम घाटे में रह गये ,
दोस्तो आप ही बताओ क्या यह समय , और यह सुविधायें , क्या हम इसके लायक हैं ? जिन्हे इसकी कद्र ही नहीं हैं ?
क्या बुढ़े गलत कहते फिरते हैं या वो बुढ़े हो गये हैं ?
मेरे हिसाब से बुढ़े सही कहते है और पागल तो आजकल के लोग हो गये है , सबको पैसे ने पागल कर रखा हैं , पैसे के लिये आज भाई ही भाई की हत्या कर रहा हैं , पैसा बोलता है आदमी नहीं जिसके पास पैसा है वो इज्जतवाला हो गया और जिसके पास पैसा नही उसकी न तो कोई इज्जत करता है और उपर से वो बेइमान हो गया ? ये कैसा समय आ चुका है दोस्तो ?
लोगो को अब जीने से ज्यादा जरुरी पैसा हो गया है , अब खाने से ज्यादा जरुरी पैसा हो चुका है , क्युकी अब सभी भुल चुके है उस समय को जब न पैसा था न रोटी , सब भगवान से दुआ करते थे कि एैसा दिन कभी न दिखाना खैर अब उनका समय बदल चुका है और आज जब लोग 1 लाख रुपये कहीं बेइमानी से भी कमाता है तो कहता है कि भगवान ऐसे ही मेरा धन्धा चलता रहे तो तुझे भी तेरा हिस्सा तेरे मंदिर में चढ़ा दुगां , यह तो गलत है न ? दुसरो से पहले खुद को सुधारो तभी सब बदलेंगे , पैसे के चक्कर में इतना मत गिर जाना की कहीं मुंह दिखाने के लायक ही न रहो ! दोस्तो "समय बदलते समय नहीं लगता" पहले सब कुछ अलग था और आज कुछ और है और कल कुछ और होगा कुछ एैसा जो शायद आपको पसंद न आये !
तो कोशिश करें अछे काम करने की , बुज़ुर्गों की इज्जत करने की ताकि आने वाली पीढ़ी आपकी इज्जत कर सके ,
यह दुनिया बड़ी रहस्यमयी है और यह बुढ़े काफी कुछ जानते है इन रहस्यों के बारे मे , एसी ही कुछ खबर मुझे मिली 4 मार्च 2016 को , मैने जब सुना तो मैं हैरान रह गया एक बुढा़ है 180 साल का और अभी भी जिंदा है मतलब अब वह 181 साल का हो गया होगा , पर अजीब बात तो यह है कि उनका कहना है कि " शायद यमराज मेरे घर का रास्ता भुल गये है " और पता नहीं कब तक वह जिंदा रहेंगे ,
उनका जन्म 1835 में बेंगलुरु के एक इलाके में हुआ था इसके बाद वह वाराणसी शहर में रहने के लिये आ गये और तब से वहीं रहनो आ गये और न जाने उनकी जिंदगी के पिछे छिपा वो कौन सा रहस्य होगा जिसने उन्हे अभी तक जिंदा रखा हुआ है !
डॉकटर ने भी उनकी जांच की , उनके पहचान पत्र जांच की पर उनका कहना सही ही निकला , वो वाकयी में 180 साल के है और उन्हे जिंदा रहते एक लम्बा अरसा बीत चुका है उनके सामने ही उनके अपने बच्चो की मौते हुइ और बच्चे तो बच्चे ,पर उनके पोते और परपोते भी मर चुके है पर मौत उनके घर का रास्ता सच में भुल गयी है !
21 अच्छी आदतें - जो आपको जरुर सीखनी चाहिए
शायद आप इस विषय पर कुछ कहना पसंद करेंगे ! तो हमें Comments में जरुर बतायें की इसके पिछे कौन सा रहस्य छुपा होगा !
Thanks to read this
Comment you suggestion about this artical and farword this to your friends and family .....
No comments:
Write Comments