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नमस्कार दोस्तों मैं एक हिमाचली ब्लॉगर (Himachali Blogger) हुं और मैंने अपनी बलौग इसलिये बनाई है ताकि हिंन्दी भाषा का प्रचार कर सकं ताकि सभी हिन्दी भाषा में ब्लॉगिंग करें व हिन्दी को अपना गौरव मान मर्यादा माने। www.imdishu.com हिमाचल में इकलौती एैसी Blog/Website है जो नियमित पोस्ट करती है व नया लाती है तोकि हमारे हिमाचली भाई व समस्त भारतीय कुछ अच्छा पढ़ सके। जय हिंद जय भारत। #Imdishu #Hindi Blogs

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13/11/2017

क्या है पर्सनैलिटी डेवलपमैंट के मायने : Personality Development

Personality या व्यक्तित्व शब्द से हम सब भली प्रकार से परिचित हैं. इस शब्द का प्रयोग हम अपने जीवन में किसी भी व्यक्ति के गुण या attributes के रूप में करते हैं. अकसर ही हम ये कहते हुए पाए जाते हैं कि उस व्यक्ति की personality बहुत अच्छी है या “क्या पर्सनालिटी है!”.
पर क्या सही मायनो में हम इस शब्द के व्यापक रूप को समझ पाए हैं . Personality को अकसर लोग शारीरिक आकर्षण या सुंदरता से जोड़ कर देखते हैं पर इस शब्द के व्यापक रूप को हम समझ नहीं पाए हैं . Personality शब्द एक Latin शब्द Persona से derive हुआ है जिसका अर्थ होता है mask ; जिसका उपयोग रोमन लोग थियेटर में काम करने के लिए और अलग-अलग किरदार निभाने के लिए करते थे. इसका अर्थ तो ये हुआ की personality वही है जैसा हम दिखते हैं या दूसरों को नज़र आते हैं. पर ये personality की बहुत ही संकुचित परिभाषा हुई –
पर्सनॅलिटी सिर्फ़ शारीरिक गुणों से ही नही बल्कि विचारों और व्यवहार से भी मिल कर बनती है जो हमारे व्यवहार और समाज में हमारे समायोजन को भी निर्धारित करती है . कोई भी व्यक्ति जन्मजात अच्छी personality ले कर पैदा नही होता है बल्कि सफल होने लिए अपने अंदर गुणों को विकसित करना पड़ता है. ऐसे गुणों को जो दूसरों को प्रभावित करे साथ ही साथ अपने आपको भी develop करे.
शारीरिक रूप से सुंदर होना या intelligent होना व्यक्तित्व का सिर्फ़ एक ही पहलू हैं बल्कि अच्छी personality के लिए ज्ञान का सही उपयोग करना और अपने gestures और posture को उसके अनुरूप बनाना आवश्यक होता है.
अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए पहली आवश्यकता है सही perception क्योकि आप वही देखते हैं जो आप देखना चाहते हैं ‘ we see the things through our mind not through our eyes”, अपने negative emotions से दूर रहना और inferiority complex को दूर करना. ऐसा बिल्कुल भी नही है कि अगर आप physically attractive नही है तो आप की personality अच्छी नही है- मार्टिन लूथर किंग, गाँधी जी , इत्यादि शारीरिक रूप से attractive नही थे पर मानव जाती के लिए इनका व्यक्तित्व एक मिसाल है. क्योकि इन लोगो ने अपने negative emotions पर पर विजय पाई और खुद पर भरोसा किया. Negative emotions पर विजय पाने का उपाय है love yourself, feel good about yourself and make realistic life goals.
अपने साथियों से बेहतर बनने की बजाए कोशिश करे की अपने आप से बेहतर बने. Stress और fear दो बहुत ही बड़े कारण है जो हमारी personality को पूरी तरह से निखरने नही देते , अपने अंदर के डर को पहचानना और उससे मुक्त होने का प्रयास करना अत्यंत आवश्यक है. सबसे बड़ा डर जो किसी भी व्यक्ति के मन में होता है वो है fear of failure जिसे बार बार प्रयास कर के ही दूर किया जा सकता है. Positive attitude, self confidence, self motivation और अच्छी body language का इस्तेमाल कर के अपनी personality को develop किया जा सकता है.
व्यक्तित्व में विचारो और व्यवहारो की भूमिका के साथ साथ physical characteristics को नकारा नही जा सकता . Physical characteristics से अर्थ खूबसूरत चेहरे का नही बल्कि high level of energy, personal hygiene की और activeness से है साथ ही साथ सही manners, how to speak and treat others की knowledge होना अत्यंत आवश्यक है. हमारी personality का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे personal relationship हैं. किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व इस बात से भी आँका जा सकता है कि वो अपने personal relationships को किस प्रकार manage करता है या उसमे कितना सफल रहा है.
विक्खयात physiologist Hippocrates ने सबसे पहले पर्सनॅलिटी को चार भाग में बांटा था

SANGUINE,
MELANCHOLIC,
PHLEGMATIC,
CHOLERIC.

उनका मानना था कि Sanguine लोगो में blood की मात्रा अधिक होती है तथा ये खुश रहते हैं और दूसरों को भी खुश रखते हैं तथा ज़्यादा सोच विचार नही करते, melancholic बहुत ही systematic और logical होते है हर चीज़ को सोच समझ के चलते है, phlegmatic लोग शांत प्रवृत्ति के होते है किसी भी बात पर वे अधिक उत्तेजित नही होते और choleric गुस्से वाले होते हैं उनके अंदर leadership quality भी अधिक होती है जिसके कारण वे दूसरों को dominate करते है. इससे आप अंदाज़ा लगा ही सकते हैं कि हर तरह के पर्सनॅलिटी की अपने ही विशेषता है और इस दुनिया में इन चारो प्रकारो की आवश्यकता है ताकि संतुलन बना रहे. हम सब में ये चारो traits या personality होती हैं पर किसी में कोई गुण ज़्यादा है तो किसी में कोई और ये सब शारीरिक गुणों के कारण नही है बल्कि हमारी स्वाभाविक प्रवित्ती के कारण है. हमे एक दूसरे की पर्सनॅलिटी को पहचानना है और उसके हिसाब से adjustment करना है. मान लीजिए की आप sanguine है तो ज़रूरी नही कि आपका साथी भी sanguine हो, हो सकता है की वो melancholic हो या choleric हो बल्कि अगर आप sanguine हैं तो हो सकता है की आप अपने चंचल स्वाभाव के कारण समझदारी से decision ना ले पाए ऐसे में कोई melancholic personality वाला आपको बेहतर गाइड कर सकता है.
हमे सामने वाले की personality को भाँपते हुए react करना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति इस दुनिया में unique है. हमे हर प्रकार के व्यक्तित्व की respect करनी चाहिए और अपनी personality develop करने का निरंतर प्रयास करना चाहिए, क्योंकि ” personality is to human as fragrance is to flower .”

दोस्तों जीवन (Life) में हमारे पास अपने लिए मात्र 3500 दिन (9 वर्ष व 6 महीने) ही होते है !
वर्ल्ड बैंक ने एक इन्सान की औसत आयु 78 वर्ष मानकर यह आकलन किया है जिसके अनुसार हमारे पास अपने लिए मात्र 9 वर्ष व 6 महीने ही होते है | इस आकलन के अनुसार औसतन 29 वर्ष सोने में, 3-4 वर्ष शिक्षा में, 10-12 वर्ष रोजगार में, 9-10 वर्ष मनोरंजन में, 15-18 वर्ष अन्य रोजमरा के कामों में जैसे खाना पीना, यात्रा, नित्य कर्म, घर के काम इत्यादि में खर्च हो जाते है | इस तरह हमारे पास अपने सपनों (Dreams) को पूरा करने व कुछ कर दिखाने के लिए मात्र 3500 दिन अथवा 84,000 घंटे ही होते है |


“संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु समय ही है”

लेकिन वर्तमान में ज्यादातर लोग निराशामय जिंदगी (Life) जी रहे है और वे इंतजार कर रहे होते है कि उनके जीवन में कोई चमत्कार होगा, जो उनकी निराशामय जिंदगी को बदल देगा| दोस्तों वह चमत्कार आज व अभी से शुरू होगा और उस चमत्कार को करने वाले व्यक्ति आप ही है, क्योंकि उस चमत्कार को आप के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं कर सकता | इस शुरुआत के लिए हमें अपनी सोच व मान्यताओ (beliefs) को बदलना होगा |

जीवन के नियम :-

दोस्तों हम एक नयी शुरुआत करने जा रहे है और इसके लिए हमें कुछ नियमो का पालन करना होगा | ये नियम आपकी जिंदगी बदल देंगे |

आत्मविश्वास (Self Confidence) :-

आत्मविश्वास से आशय “स्वंय पर विश्वास एंव नियंत्रण” (Believe in Yourself) से है | दोस्तों हमारे जीवन में आत्मविश्वास (Self Confidence) का होना उतना ही आवश्यक है जितना किसी फूल (Flower) में खुशबू (सुगंध) का होना, आत्मविश्वास (Self Confidence) के बगैर हमारी जिंदगी एक जिन्दा लाश के समान हो जाती है | कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो वह आत्मविश्वास के बिना कुछ नहीं कर सकता | आत्मविश्वास ही सफलता (Success) की नींव है, आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने द्वारा किये गए कार्य पर संदेह करता है | आत्मविश्वास (Self Confidence) उसी व्यक्ति के पास होता है जो स्वंय से संतुष्ट होता है एंव जिसके पास दृड़ निश्चय, मेहनत (Hardwork) व लगन (Focused), साहस (Fearless ) , वचनबद्धता (Commitment) आदि संस्कारों की सम्पति होती है |

आत्मविश्वास कैसे बढाएं:

1. स्वंय पर विश्वास रखें (Believe in Yourself), लक्ष्य बनायें (make smart goals) एंव उन्हें पूरा करने के लिए वचनबद्ध रहें | जब आप अपने द्वारा बनाये गए लक्ष्य (Goals) को पूरा करते है तो यह आपके आत्मविश्वास (Self Confidence) को कई गुना बढ़ा देता है |
2. खुश रहें (Be Happy), खुद को प्रेरित करें (Motivate Yourself), असफलता (Failure) से दुखी न होकर उससे सीख लें क्योंकि “experience हमेशा bad experience से ही आता है”
3. सकारात्मक सोचें (Think Positive) , विनम्र रहें एंव दिन की शुरुआत किसी अच्छे कार्य से करें (starting the day with a positive attitude)|
4. इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं है | आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुशमन किसी भी कार्य को करने में असफलता होने का “डर” (Fear of Failure) है एंव डर को हटाना है तो वह कार्य अवश्य करें जिसमें आपको डर लगता है |
5. सच बोलें, ईमानदार रहें, धूम्रपान न करें, प्रकृति से जुड़े, अच्छे (Good) कार्य करें , जरुरतमंद की मदद करें (Be Helpful)| क्योंकि ऐसे कार्य आपको सकारात्मक शक्ति (positive power) देते हैं वही दूसरी ओर गलत कार्य एंव बुरी आदतें (Bad Habits) हमारे आत्मविश्वास को गिरा देते हैं |
6. वह कार्य करें जिसमें आपकी रुचि हो एंव कोशिश करें कि अपने करियर (Career) को उसी दिशा में आगे ले जिसमें आपकी रुचि हो |
7. वर्तमान में जियें (Live in Present) , सकारात्मक सोचें (Think Positive), अच्छे मित्र बनायें, बच्चों से दोस्तीं करें, आत्मचिंतन करें |

2. स्वतंत्रता (Independence):-

स्वतंत्रता का अर्थ स्वतन्त्र सोच एंव आत्मनिर्भरता से हैं |
“हमारी खुशियों का सबसे बड़ा दुश्मन निर्भरता (Dependency) ही है एंव वर्तमान में खुशियाँ कम होने का कारण निर्भरता का बढ़ना ही है”
“सबसे बड़ा यही रोग क्या कहेंगे लोग”:- ज्यादातर लोग कोई भी कार्य करने से पहले कई बार यह सोचते है की वह कार्य करने से लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे या क्या कहेंगे और इसलिए वे कोई निर्णय ले ही नहीं पाते एंव सोचते ही रह जाते है एंव समय उनके हाथ से पानी की तरह निकल जाता है | ऐसे लोग बाद में पछताते हैं| इसलिए दोस्तों ज्यादा मत सोचिये जो आपको सही लगे वह कीजिये क्योंकि शायद ही कोई ऐसा कार्य होगा जो सभी लोगों को एक साथ पसंद आये |
अपनी ख़ुशी को खुद नियंत्रण (control) कीजिये:- वर्तमान में ज्यादातर लोगों की खुशियाँ (Happiness) परिस्थितियों पर निर्भर हैं| ऐसे लोग अनुकूल परिस्थिति में खुश (Happy) एंव प्रतिकूल परिस्थियों में दुखी (Sad) हो जाते है | उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति का कोई काम बन जाता है तो वह खुश (Happy) एंव काम न बनने पर वह दुखी हो जाता है | दोस्तों हर परिस्थिति में खुश रहें क्योंकि प्रयास करना हमारे हाथ में है लेकिन परिणाम अथवा परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं है | परिस्थिति अनुकूल या प्रतिकूल कैसी भी हो सकती है लेकिन उसका response अच्छा ही होना चाहिए क्योंकि response करना हमारे हाथ में है |
आत्मनिर्भर बनें:- दोस्तों निर्भरता ही खुशियों की दुशमन है इसलिए जहाँ तक हो सके दूसरों से अपेक्षाओं कम करें, अपना कार्य स्वंय करें एंव स्वालंबन अपनाएं दूसरों के कर्मों या विचारों से दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि दूसरों के विचार या हमारे नियंत्रण में नहीं है |
“अगर आप उस बातों या परिस्थियों की वजह से दुखी हो जाते है जो आपके नियंत्रण में नहीं है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी व भविष्य पछतावा है”

3 वर्तमान में जिएं (Live in Present):-

दोस्तों हमें दिन में 70,000 से 90,000 विचार (thoughts) आते है और हमारी सफलता एंव असफलता इसी विचारों की quality (गुणवता) पर निर्भर करती हैं| वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादातर लोगों का 70% से 90% तक समय भूतकाल, भविष्यकाल एंव व्यर्थ की बातें सोचने में चला जाता है | भूतकाल हमें अनुभव देता है एंव भविष्यकाल के लिए हमें planning (योजना) करनी होती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की हम अपना सारा समय इसी में खर्च कर दें| दोस्तों हमें वर्तमान में ही रहना चाहिए और इसे best बनाना चाहिए क्योंकि न तो भूतकाल एंव न ही भविष्यकाल पर हमारा नियंत्रण है |
अगर खुश रहना है एंव सफल होना है तो उस बारे में सोचना बंद कर दें जिस पर हमारा नियंत्रण न हो”

4. मेहनत एंव लगन (Hard work and Focus ):-

दोस्तों किसी विद्वान् ने कहा है की कामयाबी, मेहनत से पहले केवल शब्दकोष में ही मिल सकती है | मेहनत (Hard Work) का अर्थ केवल शारीरिक काम से नहीं है, मेहनत शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार से हो सकती है | अनुभव यह कहता है की मानसिक मेहनत, शारीरिक मेहनत से ज्यादा मूल्यवान होती है |
कुछ लोग लक्ष्य (Target) तो बहुत बड़ा बना देते है लेकिन मेहनत नहीं करते और फिर अपने अपने लक्ष्य को बदलते रहते है | ऐसे लोग केवल योजना(planning) बनाते रह जाते है |
मेहनत व लगन से बड़े से बड़ा मुश्किल कार्य आसान हो जाता है | अगर लक्ष्य को प्राप्त करना है तो बीच में आने वाली बाधाओं को पार करना होगा, मेहनत करनी होगी, बार बार दृढ़ निश्चय से कोशिश करनी होगी |
“असफल लोगों के पास बचने का एकमात्र साधन यह होता है कि वे मुसीबत आने पर अपने लक्ष्य को बदल देते है |”
कुछ लोग ऐसे होते है जो मेहनत तो करते है लेकिन एक बार विफल होने पर निराश होकर कार्य को बीच में ही छोड़ देते है इसलिए मेहनत के साथ साथ लगन व दृढ़ निश्चय (Commitment) का होना भी अति आवश्यक है |
“अगर कोई व्यक्ति बार बार उस कार्य को करने पर भी सफल नहीं हो पा रहा तो इसका मतलब उसका कार्य करने का तरीका गलत है एंव उसे मानसिक मेहनत करने की आवश्यकता है |”

5. व्यवहारकुशलता:-

व्यवहारकुशल व्यक्ति जहाँ भी जाए वह वहां के वातावरण को खुशियों से भर देता है ऐसे लोगों को समाज सम्मान की दृष्टी से देखा जाता है | ऐसे लोग नम्रता व मुस्कराहट (Smile) के साथ व्यवहार करते है एंव हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते है | शिष्टाचार ही सबसे उत्तम सुन्दरता है जिसके बिना व्यक्ति केवल स्वयं तक सीमित हो जाता है एंव समाज उसे “स्वार्थी” नाम का अवार्ड देता है |
“जब आपके मित्रों की संख्या बढने लगे तो यह समझ लीजिये कि आप ने व्यवहारकुशलता का जादू सीख लिया है |”
शिष्टाचारी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र भी जाए वहा उनके मित्र बन जाते है जो उसके लिए जरुरत पड़ने पर मर मिटने के लिए तैयार रहते है |
चरित्र व्यवहारकुशलता की नींव है एंव चरित्रहीन व्यक्ति कभी भी शिष्टाचारी नहीं बन सकता| चरित्र, व्यक्ति की परछाई होती है एंव समाज में व्यक्ति को चहरे से नहीं बल्कि चरित्र से पहचाना जाता है | चरित्र का निर्माण नैतिक मूल्यों, संस्कारों, शिक्षा एंव आदतों से होता है |
व्यवहारकुशल व्यक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है की वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहते है |
वर्तालाप दक्षता, व्यवहारकुशलता का महत्वपूर्ण हिस्सा है | वाणी में वह शक्ति है जो वातावरण में मिठास घोल कर उसे खुशियों से भर सकती है या उसमे चिंगारी लगा कर आग भड़का सकती है |
“words can change the world” (शब्द संसार बदल सकते है |)
सोच समझ कर बोलना, कम शब्दों में ज्यादा बात कहना, व्यर्थ की बातें न करना, अच्छाई खोजना, तारीफ़ करना, दुसरे की बात को सुनना एंव महत्त्व देना, विनम्र रहना, गलतियाँ स्वीकारना इत्यादि वार्तालाप के कुछ basic नियम है |

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