होलिका दहन आज शाम 7 बजे से
होगा। इस बार पूर्णिमा का मान बृहस्पतिवार की सुबह 7:53 बजे से
शुक्रवार की सुबह 6 बजे तक है जबकि भद्रा बृहस्पतिवार शाम 6:58 बजे के बाद
ही खत्म होगी। ऐसे में एक मार्च की शाम सात बजे के बाद ही होलिका दहन का श्रेष्ठ
मुहूर्त है। ये लगभग 22 घंटों तक रहेगा। होलिका दहन के साथ ही शहर की
गलियों में रंग शुरू हो जाएगा, जो शुक्रवार को दोपहर तक जारी रहेगा। रंग के दिन
शहर में जगह-जगह हुरियारों के जुलूस निकलेंगे। इस तरह सी होली मनाई जायेगी
आईये अब जान लेते है की पूजन कब और कैसे करना है.
सूर्यास्त के बाद ऐसे करें
पूजन – worship after sunset:
जैसा की कुछ
लोग जानते ही होंगे की डुंडिका
देवी/ढूँढी देवी
की पूजा का समय सूर्यास्त के बाद का होता है अबीर-गुलाल मिश्रित जल से ही होलिका का पूजन
करें, नये और शुद्ध अनाज व उपले की बालियाँ चढ़ाएं. होलिका दहन के बाद सुबह गन्ने
को भूनकर उसका रस चूसने के लिए घर में लाना चाहिए, छोटी होली पर नये अनाज की पूजा भी
होगी.
गाजे-बाजे से निकलेगी हुरियारों की बारात
शुभ संस्कार समिति की ओर से 44वीं बारात 2 मार्च को
सुबह चौपटियां कक्कड़ पार्क से निकलेगी। वहीं, होलिकोत्सव समिति की ओर से
कोनेश्वर चौराहे से होली बारात निकाली जाएगी। आयोजन से जुड़े अन्नू मिश्रा ने
बताया कि बारात में ऊंट, घोड़े के साथ अबीर-गुलाल उड़ाते हुरियारों की
टोली शामिल होगी। अंत में सभी से यही
प्रार्थना है की आप सभी होली में सावधानियां बरतें ताकि इस होली पर किसी को कोई
नुक्सान न हो, हैप्पी होली
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