imdishu

social counter

About Imdishu

हैलो दोस्तो मेरा नाम Dishu है और मैं इस Blog का Founder And CEO हुं , आपके लिए बहुत सारी Useful Information इस वेबसाइट पर मिलेगी अगर पसंद आए तो Follow और Subscribe करें हमारी वेबसाइट को , Thank You मेरे बारे मे और भी जानने के लिए Click करें ..

Like Us On Facebook

Contributors

My Photo
नमस्कार दोस्तों मैं एक हिमाचली ब्लॉगर (Himachali Blogger) हुं और मैंने अपनी बलौग इसलिये बनाई है ताकि हिंन्दी भाषा का प्रचार कर सकं ताकि सभी हिन्दी भाषा में ब्लॉगिंग करें व हिन्दी को अपना गौरव मान मर्यादा माने। www.imdishu.com हिमाचल में इकलौती एैसी Blog/Website है जो नियमित पोस्ट करती है व नया लाती है तोकि हमारे हिमाचली भाई व समस्त भारतीय कुछ अच्छा पढ़ सके। जय हिंद जय भारत। #Imdishu #Hindi Blogs

Blog Archive

Comment

Outdoor


vertical posts

latest tweets

business

ad space

vehicles

Featured Posts

our facebook page

about us

Slide show

health

recent posts

recent posts

social counter

advertisement

random posts

advertisement

Category 1

Headlines

Theme images by centauria. Powered by Blogger.

Search This Blog

business

Popular Posts

25/07/2017

रक्षाबंधन के खास अवसर पर एक प्रयास : An attempt on the special occasion of Rakshabandhan 2017

Posted By : #PanwerDishu

मैं यह पोस्ट आज रक्षाबंधन से पहले ही लिख रहा हूं ताकि रक्षाबंधन तक यह संदेश सभी बहनों तक पहुंच सके.

सबसे पहले तो रक्षाबंधन (सोमवार , 7 अगस्त 2017) के इस पावन अवसर पर सभी बहनों को मेरी (दिशु) तरफ से हैप्पी रक्षाबंधन। आप सभी मुझे राख़ी तो नहीं बांध सकती लेकिन मेरी एक जरुरी सुचना पर ध्यान देकर जरुर एक बहन होने का फर्ज निभा सकती हैं , हां क्यों नहीं । हमेशा ही भाई ही क्यों भाई होने का फ़र्ज अदा करें और कबतक ? आज आप को एक सच्ची बहन होने का फर्ज निभाना होगा। तो इस पोस्ट को पुरा पढ़ो खुद समझ आ जायेगा।

आइये सबसे पहले इस महान् और शुभ दिन के बारे में थोड़ा जान लेते हैं : 

रक्षा बंधन 

रक्षा बंधन एक हिंन्दु त्योहार है जिसे श्रावण मास के पुर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को श्रावण मास ( सावन महिने) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी ( सावनी ) और सलूनो के नाम से भी जाना जाता है रक्षाबंधन में राख़ी का सबसे ज्यादा महत्व है राख़ी किसी भी प्रकार की हो सकती है जैसे : सस्ती राख़ी , मंहगी राख़ी , कलावे से बनी राख़ी , मौली के धागे की राख़ी , रेशमी धागे से बनी राख़ी या सोने चांदी से बनी राख़ी। भारतीय मान्यताओं के अनुसार एक बहन ही भाई को राख़ी बांधती है। लेकिन कुछ परंम्पराओं के अनुसार ब्राह्मण , गुरु , माता पिता को भी बेटियां राखी बांधती हैं और इसमें कुछ गलत नहीं।

अब तो प्रकृति संरक्षण के लिये पेड़ों को भी राख़ियां बांधी जाती है और इसे भी मैं गलत नहीं मानता। हमें सभी चिज़ों से प्रेम करना चाहिए , चाहे फिर वह निर्जिव वस्तु ही क्यों ना हो।

हिंदु धर्म में किये जाने वाले यज्ञ और अनुष्ठानों में रक्षासुत्र बांधे जाते हैं जिसे बांधते समय एक श्लोक का उच्चारण किया जाता है इस श्लोक का संबध राजा बलि से है भविष्यपुराण के अनुसार इंन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासुत्र को देवगुरु ब्रह्सपति ने इंन्द्र के हाथों में बांधते हुए स्वस्थिवाचन किया था जो कुछ इस प्रकार था :

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

हिन्दी में अर्थ : जिस रक्षासुत्र से महान् शक्तिशाली दान्वेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था उसी रक्षासुत्र से मैं तुझे बांधता हूं , हे रक्षासुत्र तू अडिग रहना ( तू अपने संकल्प से कभी विचलित मत होना)  

रक्षाबंधन को सभी भारतीय और हिन्दु धर्म के लोग मनाते हैं और इसके साथ साथ सभी नेपाल के लोग भी इस त्योहार को मनाते हैं। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राख़ी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। तभी यह रक्षाबंधन कहलाता है। 


तो मैं आपको यह सुचना देना चाहता हूं कि आप भले ही कम पैसों से राख़ी ख़रीदें , या चाहे मौली के धागे की ही राखी बांधे लेकिन चीन से आई उन राखियों को मत खरीदना जिनपर किसी बहन के भाई की मौत का पैग़ाम लिखा हो। आज सभी भारतीय जान चुके है कि भारत देश पर होने वाले सभी हमले पाकिस्तान से आते हैं और इन हमलों में पाकिस्तान की मदद करता है चीन।

इस रक्षाबंधन के मौके पर ना जाने कितने भाई भारतीय सीमा पर अपनी ड्युटी निभा रहे होगें और उनके घरों में उनकी बहने इंतज़ार करती रहेंगी। लेकिन आप के सिर्फ एक चीनी राख़ी ख़रीदने की वजह से वो भाई कभी वापिस ही नहीं आ पायेंगे जो देश की ख़ातिर , आप सभी बहनों की ख़ातिर , हम भाईयों की ख़ातिर रक्षाबंधन जैसे ख़ास त्योहारों को भी बॉर्डर पर अकेले बंदुको के साथ मनायेंगे।

अगर आप को पता नहीं है कि चीन से आई राख़ियां कैसी होती है तो कृपया गुगल पर सर्च करिये या मुझे ई-मेल करें मैं आपकों उन सभी चीनी राखियों पर लगे नामों की सुची भेजुंगा। अगर आप नहीं चाहतीं कि आप की वजह से किसी बहन को उसका भाई दोबारा देखने को मिले तो आप आराम से चीनी रेशम से बनी राख़ी खरीद सकती हैं और हमेशा से यही तो होता आ रहा है कोई इस अभियान में शामिल नहीं होना चाहता। 

आप को आवाज़ उठानी होगी , अगर बाज़ार में भारतीय रेशम राख़ी नहीं मिलती तो कोई सस्ती या मौली के धागे की राख़ी बांध लेना क्योंकि भाई बहन का प्यार किसी राख़ी की सुंदरता का मोहताज नहीं है। बहन की बांधी हुई टुटी फुटी राखी भी भाई के लिये सोने की राखी के समान होती है। तो क्यों ना शुरुआत आज रक्षाबंधन से ही की जाये ? एक शुरुआत अपने देश की उन्नति की और पाकिस्तान और चीन जैसे आतंकी देशों के विनाश की ? हम अहिंसा से दुर है और अहिंसा के बिना ही हम जीत सकते हैं हमें भारत के दुशमन देशों को अहिंसा से हराना है हम न लड़ायी करेंगे ना ही झगड़ा। 
बस चीन से आयी कोई भी वस्तु नहीं खरीदेंगे और फिर देखना कुछ महिनों में ही चीन का नाम बदल कर कचरे का डिब्बा हो जायेगा जहां पर सभी चीज़ें होगी लेकिन उन्हे कोई खरिदेगा नहीं और वहीं पर सड़ जायेगी  , फिर कुछ ही समय में चीन पाकिस्तान की मदद करना बंद करेगा और पाकिस्तान भारत पर हमला भी नहीं कर पायेगा। तो ठिक है ना ? हमारे देश के कुछ भाई जो सरहद पर हर रोज़ गोलियां खा रहे हैं उन्हे जीने का मौका मिल जायेगा। 


राख़ी बांधते समय भाई अपनी बहन को वचन देता है कि वो अपनी बहन की रक्षा करेगा , लेकिन उस बेचारे भाई की रक्षा कौन करेगा ? बहनों को रक्षा करनी होगी और यह संदेश पुरे भारत में फैल जाना चाहिए। शेअर करने का काम भी आपका है यह मैसेज़ रक्षाबंधन तक पुरे भारत तक पहुंच जाना चाहिए जल्दि इस पोस्ट की लिंक उपर Address Bar से कॉपी करें और अपनी सहेलियों को भी भेज दें ताकि वह भी अपना बहुमुल्य योगदान दे सकें। Happy Rakshabandhan Dear Sisters : Dishu Panwer 

Like our Facebook page for future updates :


अगर आप इस पोस्ट पर कॉमेंट करके कुछ कहना चाहते हैं तो निचे दो प्रकार के कॉमेंट प्लगिन लगे हैं आप अपनी फेसबुक प्रोफाइल द्वारा भी कॉमेंट कर सकते हैं या गुगल प्रोफाइल से भी। 👇👇

No comments:
Write Comments

Interested for our works and services?
Get more of our update !