जैसा कि आप सभी जावेद अख्तर साहब के बारे में जानते हैं भारत के सुप्रसिद्ध कवि है और अनेकों रचनाएं भी की है, जो दिल को महका देती है और आपको अपनो सच्चे प्यार की याद करवाती है एसी ही कुछ कविताएं हम आज आपके लिये लाएं है आशा करते हैं कि आपको यह कविताएं पसंद आए।
कविता - जाते जाते वो मुझे
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया
साभार : कविताकोष
कविता - हर खुशी में कोई कमी सी है
हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हँसती आँखों में भी नमी-सी है
दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नब्ज़ भी थमी-सी है
किसको समझायें किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है
ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी-सी है
कह गए हम ये किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी-सी है
हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी-सी है
कविता - जाते जाते वो मुझे
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया
साभार : कविताकोष
कविता - हर खुशी में कोई कमी सी है
हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हँसती आँखों में भी नमी-सी है
दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नब्ज़ भी थमी-सी है
किसको समझायें किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है
ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी-सी है
कह गए हम ये किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी-सी है
हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी-सी है
साभार : कविताकोष
कविता - कभी इक पल ग़मों का दरिया
इक पल गमों का दरिया, इक पल खुशी का दरिया
रूकता नहीं कभी भी, ये ज़िन्दगी का दरिया
आँखें थीं वो किसी की, या ख़्वाब की ज़ंजीरे
आवाज़ थी किसी की, या रागिनी का दरिया
इस दिल की वादियों में, अब खाक उड़ रही है
बहता यहीं था पहले, इक आशिकी का दरिया
किरनों में हैं ये लहरें, या लहरों में हैं किरनें
दरिया की चाँदनी है, या चाँदनी का दरिया
रूकता नहीं कभी भी, ये ज़िन्दगी का दरिया
आँखें थीं वो किसी की, या ख़्वाब की ज़ंजीरे
आवाज़ थी किसी की, या रागिनी का दरिया
इस दिल की वादियों में, अब खाक उड़ रही है
बहता यहीं था पहले, इक आशिकी का दरिया
किरनों में हैं ये लहरें, या लहरों में हैं किरनें
दरिया की चाँदनी है, या चाँदनी का दरिया
साभार : कविताकोष
तो दोस्तो कैसी लगी यह जावेद अख्तर की कविताएं ? यदि आपको यह कविताएं पसंद आई है तो कृपया हमारी ब्लॉग को सब्सक्राईब करना न भुले जिससे आप हमारी हर पोस्ट ई-मेल पर पा सकेंगे । यदि आप के पास कोई अच्छा सा लेख व शायरी , कविता , रचना , विडियो , गाना , जोक्स आदि है जिसे आप हमसे बांटना चाहते हैं तो कृपया ई-मेल द्वारा संम्पर्क करें Panwerdishu@gmail.com
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