Posted By : #PanwerDishu
जय श्री महाकालेश्वर
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर स्वंयभु नामक व्यक्ति ने बनाया था , इस मंदिर की निर्माण काल पता नहीं चल पाया है मगर मान्यता है कि यह मंदिर अति प्राचीन है यह देवों के देव महादेव महाकाल का मंदिर है और लोगों का मानना है कि साक्षात महाकाल यहां पर निवास करते हैं , आपकी जानकारी के लिये बताना चाहेंगे कि यह मंदिर उज्जैन , मध्य प्रदेश में स्थित है।
महाकालेश्वर मंदिर , भारत में विद्यमान बाहर ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं यह मंदिर भारत के राज्य मध्य प्रदेश में स्थित है यह मंदिर भगवान शिव का प्रमुख मंदिर है जिसका वर्णन पुराणों , महाभारत और प्रसिद्ध कविराज कालिदास की रचनाओं में भी मिलता है। यह दक्षिणमुखी होने के कारण मंदिर के मात्र दर्शन से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और साधु संतो का कहना है कि यह मंदिर महाकाल की नगरी है जहां पर मौत भी आने का साहस नहीं करती।
1235 ई. में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष रुप से ध्यान दिया, इसीलिए यह मंदिर अपने वर्तमान रूप को प्राप्त कर सका है। प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को बेहतर ढंग से सुसज्जित किया जाता है।
इतिहास : History Of Ujjain
इतिहास के पन्ने खोल कर देखे जाये तो यही पता चलता है कि इतिहास में उज्जैन नगरी पर यवनों का शाशन था। यवनों ने उज्जैन पर सन् 1107 से 1728 ई. तक राज किया। इन्होनें अपने शाशनकाल के 4500 वर्षों तक इस नगरी से हिन्दु संस्कृती को नष्ट कर दिया था। लेकिन 1690 ई. में मराठों नें यवनों पर आक्रमण कर दिया और 29 नवबंर 1728 को उज्जैन में अपना राज शुरु किया इन्होंने हिन्दुओं के खोये हुए गौरव को पुनः वापिस लाया । सन् 1731 से लेकर 1809 तक यह मालवा की राजधानी बनी रही मराठों के शासनकाल में यहाँ दो महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटीं - पहला, महाकालेश्वर मंदिर का पुनिर्नर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा तथा सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। आगे चलकर राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार करवाया।
वर्णन : The Description
महाकाल का मंदिर एक परकोटे के अंतर स्थित है , मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिये सिढीदार रास्ता है उसके उपर एक कक्ष है जहां पर ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का कुल क्षेत्रफल 10.77 × 10.77 वर्गमीटर और ऊंचाई 28.77 मीटर है। महाशिवरात्री के अवसर पर इस मंदिर में अपार भीड़ रहती है लाखों लोग महाकाल बाबा के दर्शन करने के लिये दुर दुर से यहां पर आते हैं। मंदिर के साथ में एक छोटा सा जलस्त्रोत है जिसे कोटितिर्थ भी कहा जाता है इतिहास की माने तो इल्तुत्मिश ने जब इस मंदिर को तुड़वाया था तो मंदिर को तोड़ कर कोटितिर्थ में फ़ैक दिया था। मगर बाद में इसे पुनः सुस्जित किया गया था।
तो कैसी लगी यह जानकारी आपको ?अब आपको उज्जैन मंदिर का इतिहास ( History Of Ujjain Mahakaleshwar Temple In Hindi) पता चल गया होगा। अगर आप इस जानकारी से संतुष्ट हैं तो कृपया शेअर करना ना भुलें व हमसे जुड़ने के लिये हमारा फेसबुक पेज़ लाइक करें।
जय श्री महाकालेश्वर
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर स्वंयभु नामक व्यक्ति ने बनाया था , इस मंदिर की निर्माण काल पता नहीं चल पाया है मगर मान्यता है कि यह मंदिर अति प्राचीन है यह देवों के देव महादेव महाकाल का मंदिर है और लोगों का मानना है कि साक्षात महाकाल यहां पर निवास करते हैं , आपकी जानकारी के लिये बताना चाहेंगे कि यह मंदिर उज्जैन , मध्य प्रदेश में स्थित है।
महाकालेश्वर मंदिर , भारत में विद्यमान बाहर ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं यह मंदिर भारत के राज्य मध्य प्रदेश में स्थित है यह मंदिर भगवान शिव का प्रमुख मंदिर है जिसका वर्णन पुराणों , महाभारत और प्रसिद्ध कविराज कालिदास की रचनाओं में भी मिलता है। यह दक्षिणमुखी होने के कारण मंदिर के मात्र दर्शन से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और साधु संतो का कहना है कि यह मंदिर महाकाल की नगरी है जहां पर मौत भी आने का साहस नहीं करती।
1235 ई. में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष रुप से ध्यान दिया, इसीलिए यह मंदिर अपने वर्तमान रूप को प्राप्त कर सका है। प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को बेहतर ढंग से सुसज्जित किया जाता है।
इतिहास : History Of Ujjain
इतिहास के पन्ने खोल कर देखे जाये तो यही पता चलता है कि इतिहास में उज्जैन नगरी पर यवनों का शाशन था। यवनों ने उज्जैन पर सन् 1107 से 1728 ई. तक राज किया। इन्होनें अपने शाशनकाल के 4500 वर्षों तक इस नगरी से हिन्दु संस्कृती को नष्ट कर दिया था। लेकिन 1690 ई. में मराठों नें यवनों पर आक्रमण कर दिया और 29 नवबंर 1728 को उज्जैन में अपना राज शुरु किया इन्होंने हिन्दुओं के खोये हुए गौरव को पुनः वापिस लाया । सन् 1731 से लेकर 1809 तक यह मालवा की राजधानी बनी रही मराठों के शासनकाल में यहाँ दो महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटीं - पहला, महाकालेश्वर मंदिर का पुनिर्नर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा तथा सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। आगे चलकर राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार करवाया।
वर्णन : The Description
महाकाल का मंदिर एक परकोटे के अंतर स्थित है , मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिये सिढीदार रास्ता है उसके उपर एक कक्ष है जहां पर ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का कुल क्षेत्रफल 10.77 × 10.77 वर्गमीटर और ऊंचाई 28.77 मीटर है। महाशिवरात्री के अवसर पर इस मंदिर में अपार भीड़ रहती है लाखों लोग महाकाल बाबा के दर्शन करने के लिये दुर दुर से यहां पर आते हैं। मंदिर के साथ में एक छोटा सा जलस्त्रोत है जिसे कोटितिर्थ भी कहा जाता है इतिहास की माने तो इल्तुत्मिश ने जब इस मंदिर को तुड़वाया था तो मंदिर को तोड़ कर कोटितिर्थ में फ़ैक दिया था। मगर बाद में इसे पुनः सुस्जित किया गया था।
तो कैसी लगी यह जानकारी आपको ?अब आपको उज्जैन मंदिर का इतिहास ( History Of Ujjain Mahakaleshwar Temple In Hindi) पता चल गया होगा। अगर आप इस जानकारी से संतुष्ट हैं तो कृपया शेअर करना ना भुलें व हमसे जुड़ने के लिये हमारा फेसबुक पेज़ लाइक करें।
No comments:
Write Comments